धर्म, किसी परलौकिक शक्ति में विश्वास या उससे जुड़े रीति-रिवाज़, परंपरा, पूजा-पद्धति, और दर्शन नहीं है। जैसा की इंटरनेट पर भिन्न भिन्न स्रोतों के माध्यम से बताया गया है।धर्म क्या है और इस बारे में, मैं क्या सोचता हूँ इसे आप मेरे इस ब्लॉग पोस्ट से जान सकते है। अब अगर धर्म का शाब्दिक अर्थ समझे तो संधि-विच्छेद करने से ज्ञात होता है कि धर्म शब्द 'धृ'धातू से बना है, जिसका मतलब है 'धारण करने योग्य
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