आज कल आप ये प्रश्न किसे से भी पूछे तो वह यही कहेगा कि शून्य का अर्थ होता है - "कुछ नहीं". लेकिन सनातन धर्म के अनुसार शून्य का अर्थ यह नहीं होता है। इसका उदाहरण नीचे देता हूँ। जब कंस अपनी बहन और बहनोई बासुदेव को रथ में स्वयं विवाह उपरांत छोड़ने जा रहा था, तो उसी समय एक आकाशवाणी हुयी कि - मुर्ख कंस तेरे पाप का घड़ा भर गया है, तेरी बहन देवकी की आठमी संतान ही तेरा वध करेगी". वह डर जाता
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